क्या कहें भिया के बारे में......मतलब😀😀
अल्फाज नहीं मिल रहें हैं हमको
""""मत कहो""""😎😎😎
चुप रहना बे क्यों न कहें हम....बुड़बक कहीं के😀😀😀😀😀😀😀😀
जिन्दगी को जिन्दादिली से जीने वाले और चहरे की मुस्कान आय हाय दिल को सुकून देती है और लगता है जैसे प्रोब्लम चाहे कित्ती भी हो जिन्दगी में हम उनसे भी भारी हैं और मुस्कुराते हुए जिओ..........ये बात है देवू भिया की...😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😍😎😎😎😍😍😍😍😍
कुछ इस तरह मैंने ज़िन्दगी को आसान कर लिया,
किसी से मांग ली माफ़ी, किसी को माफ़ कर दिया…
-मिर्ज़ा ग़ालिब
एक बार हम इनसे बोले कि भिया तुम इत्ते भी बुरे नहीं हो जित्ता तुम बुरा दिखने की और बनने की कोशिश करते हो..... एक तो लोग भी एक नम्बर के ढोरचन्द्र हैं समझते नहीं है कि आदमी को समझाने से पहले उसे अपना बनाना चाहिए उसे अपनेपन का अहसास दिलाना चाहिए😎😎😄😘😍😍😍😍
मेरे ब्लॉग लिखने में इनका बहुत योगदान है जिनका रिस्पांस पाकर हमें प्रेरणा मिली है
इनके लिए एक शेर अर्ज है जो अभी हमने मूवी में सुना और इन पर फिट बैठता है
"""कि दोस्ती में दोस्त,दोस्त का खुदा होता है मगर दोस्ती और दोस्त का अहसास तब होता है जब दोस्त,दोस्त से जुदा होता है""""
इनके कुछ अल्फाज हमारे लिए भी निकले जो कि उनने सोचा कि हम भी बहुत अच्छे से लिख सकते हैं भिया लिखे.......
""""भिया में उत्साह की कोई कमी नहीं है और एक बात जो मुझे इनकी बहुत बड़ियाँ लगी कि ये जो भी कहते हैं अच्छा या बुरा सामने मुँह पर कहते हैं पीठ पीछे नहीं कहते...इनकी भावना ये रहती है कि दूसरे लोग भी आगे आयें क्योंकि इनने मुझे भी आगे मंच पर आने के लिए प्रेरित किया है"""""
ये शब्द भिया ने लिखे तो बस हम इतना कहना चाहते हैं कि """देवू भिया आप भी अच्छा लिख लेते हैं तो लिखना शुरू कर दीजिये...बाक़ी आपके लिए हमारा प्यार पहुचें आप तक.............
इनकी एक बात बहुत अच्छी लगती है कि ये दोस्ती सबसे अच्छी निभाते हैं चाहे किसी से भी हो और गम शिकवे जल्दी भूल जाते हैं
कवि मुनव्वर राना ने कहा है कि
ज़रा सा हट के चलता हूँ ज़माने की रवायत से
कि जिन पे बोझ मैं डालू वो कंधे याद रखता हूँ
दोस्ती जिस से कि उसे निभाऊंगा जी जान से
मैं दोस्ती के हवाले से रिश्ते याद रखता हूँ😎😎
सोमिल जैन सोमू
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