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💐🎂😍जिनकुमार जी उर्फ़ जिना जी😎😍💪💕👲

सबसे पहले तो आदरणीय भाईसाब को उनके जन्मदिन के अवसर पर आत्मन परिवार और स्मारक परिवार की तरफ से ढेर सारी बधाइयां............💐💐🎂💐👍👍👍👍👌👌


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आज मैं बात कर रहा हूँ उस शख्श के बारे में जिसे किसी मिसाल की जरूरत नहीं है
जो खुद अपने आप मैं एक मिसाल भी हैं और मिसाइल भी हैं
मेरे गुरु ,मेरे दोस्त,मेरे बड़े भाई.....🙏🙏🙏🙏

मैं जयपुर आ चुका था और स्मारक में भी एंट्री ले चुका था। बुरा लगने के लिए कुछ नहीं था क्योंकि पाँच साल होस्टल में रहने का तजुर्बा अपने साथ था
अपन भाई खुशमिजाज अपने में खोए आ गए थे यहां मगर पता नहीं था की स्मारक क्या है बस हौआ सुना था स्मारक का...जो आज अच्छी तरह पता है स्मारक क्या है😍😍😍🙏



कहते हैं हर किसी की जिंदगी में एक मार्गदर्शक होता है जो उसको सही दिशा दिखाता है वैसे ही मेरे जीवन मैं भी जिन कुमार जी ने मार्गदर्शक बनकर मेरे होंसले को दिशा दी है
वैसे जिंदगी में कई मार्गदर्शक मिलते हैं हम बात तो सबकी सुनते हैं बस सुहाती किसी किसी की है और मैंने भी बात मानी भाईसाब की
वजह बहुत हैं शायद ये भी कि और लोगों में तरीका नहीं है समझाने का अपनाने का💪💪💪💪💪💪💪🌹🌹🌹🌹🌹🌹

कनिष्ठ से ही हमारी किलास के साथ वो रहे हैं और हम अपनी तारीफ उनके मुख से कई बार सुन चुके हैं"""तुम्हारी किलास में टेलेंट की कोई कमी नहीं है टेलेंट कूट कूट कर भरा है😎😎😎😎😎😎😎😎😉😉😉😉😉😉😊😁😁😀😀😁😁😊😊😊😊😉😉

आज भी उनकी प्रिय कक्षा हमारी ही किलास है




ये कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि वो कितने महान आदमी हैं क्योंकि मैं उनसे व्यक्तिगत रूप से भी जुड़ा हूँ जो मेरे लिए गर्व की बात है😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎

मुझे खुशी है कि सामूहिक रूप से मुझे उनकी डांट पड़ी है (ऐसा मुझे कभी लगा था))मगर व्यक्तिगत रूप से कभी डांटने का मैंने उन्हें मौका नहीं दिया और आगे चलकर कभी भी ऐसा क्षण नहीं आएगा।।।।

मैं कुछ भी लिखूँ कविता कहानी ...ब्लॉ ब्लॉ....
तो मेरे लिए एक अच्छे पाठक के रूप भाईसाब प्राप्त हैं जो निश्चित रूप से पड़ते हैं और मेरा उत्साह बढ़ाते हैं तथा गलतियों की तरफ ध्यान दिलाते हैं जिससे मैं अपने लेखन को और इम्प्रूव कर सकूँ।🙏🙏🙏🙏🙏🙏

अनुशासन मैं आप एक सर्वश्रेष्ठ अधीक्षक हैं और अन्य किसी भी दृष्टि से आप अच्छे दोस्त हैं❤️❤️

हमने कई बार कई कहानियां ऐसी सुनी है जो हमें प्रेरित करते हुए ये बताती हैं कि अगर किसी भी क्षेत्र में सफलता पानी है तो समर्पित होना चाहिए
बिना अनुभव के ये बातें उल्लू बनाती हैं मगर जब आपको देखते हैं आपका समर्पण भाव ,आपकी स्मारक के प्रति भावना को तो लगता ये बातें बकवास नहीं हैं बस लोग थ्योरी बकते हैं इसका जीता जातता उदाहरण तो हैम देखते हैं आदरणीय भाईसाब में.........☺☺☺☺☺☺☺☺☺☺☺👍👍👍👌👌👌👌👌👌👌💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐


मुझे ही नहीं हम सबको याद है जब भाईसाब दो साल स्मारक में रहकर जा रहे थे जब मैं शास्त्री प्रथम वर्ष में था.........
दुनिया का एक सर्वमान्य सत्य है कि दुनिया किसी के चलाने से नहीं चलती........
और दुनिया किसी के रहने या न रहने जाने या न जाने से न चलती है और न रुकती है
वैसे ही काम भी किसी के होने या न होने से चलते और रुकते नहीं हैं.......


मगर बिगड़ जरूर जाते हैं😔😔😔😔😔😔


यही हाल शास्त्री प्रथम वर्ष में हुआ था आपके जाने से काम तो चल रहा था मगर बिगड़ गया था साल तो कट गई मगर मज़ा नहीं आया.......

लेकिन जब आप वापिस आये तो जान में जान आयी लगा जैसे मेरे विश्वास को बल मिला हो और ये हकीकत है ,थी,और रहेगी......😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎

फिर मेरे लेखन को अगर कोई अच्छे से समझ पाया है तो भाईसाब ही हैं मेरे लेखन को सराहा ,मेरे उत्साह को बढ़ाया ओर इसी के कारण कुछ शब्द हम भी बयाँ करने लगे😉😊😊😊

गुरु हमारे जीवन में सबसे अहम हिस्सा होता है और जब गुरु में सुख दुख शेयर करने वाला दोस्त भी हो और गलतियों पर डांट कर उसे सुधारने वाला एक सपोर्टिंग हैंड बड़ा भाई भी हो तो जिंदगी में मज़ा ही आएगा ....सिर्फ कटेगी नहीं😊

आज लोगों में कमी देखी जाती है कि वो हर गलती पर हर काम पर मजबूरियों को समझे बिना दूसरों को दोष देते हैं मगर आप हम बच्चों की मजबूरियां अपनेपन से सुनते हैं और हमे भी लगता है कि अब सारी मुश्किलें समस्याएं मजबूरियां भाईसाब को बताकर थोड़ा हँस ले....क्योंकि अब ये सारी समस्यांए उनकी भी हो जाती है और फिर समाधान भी मिलता है😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁



एक इंग्लिश भाषा मे मैंने वाक्य पड़ा था कि वो गुरु जो सेलेबस या कोर्स से हटकर जो हमारी जिंदगी में जीवन मे इम्पोर्टेन्ट है वो पढ़ाते हैं वो टीचर हमारी लाइफ में सबसे बड़े अहम होते हैं और मोस्ट रेस्पेक्टेड होते है🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

प्रशासन और अनुशासन का सामंजस्य अगर देखना है तो आपमें स्पष्ट झलकता है

हर व्यक्ति की कोई भी काम करने के पीछे कोई न कोई  भावना होती है मैंने देखा है कि भाईसाब के हर काम के पीछे एक अच्छी भावना छुपी होती है 😭😭😭😭😭😴😉😉😉😉😉😉






आपके जन्मदिन के अवसर पर कुछ नगमे आपकी खिदमत में हाज़िर हैं....


वो नूर सा,कोहिनूर सा,वो मौलवी,उसका दास मैं।
वो रास्ता,वो रहगुजर,वो रहनुमा,उनकी अरदास मैं।
मेरे जख्म पर मरहम वही,हर मर्ज की वो ही दवा।
महताब है मेरे ख्वाव का,मेरी उड़ान का वो ही आसमां।


वो राजा हैं मैं प्यादा सा,वो सूरज हैं मैं आधा सा।
वो सागर हैं मैं दरिया सा,उनकी बातो का जरिया सा।


यूँ तो आदत नहीं है मुझे किसी को अपनी मजबूरियां गिनाने की.......

आप समझते हैं ..बस और क्या चाहिए...☺☺☺☺☺☺☺☺☺☺☺☺☺☺☺☺☺


ये मिठाई बहुत पहले खाई थी पार्टी लूंगा जब मिलूँगा।

आज 8 मई 2020 है। मुझे स्मारक से निकले एक साल हो गया। मगर इस एक साल में कभी ऐसा नहीं लगा कि आप मेरे साथ नहीं हैं। मेरे ही नहीं बल्कि मेरी आत्मन क्लास के साथ आप हमेशा रहे हैं। कुछ बातें जो सिर्फ आपसे शेयर करता हूँ, और हमेशा की तरह आपका सहयोग एक बड़े भाई की तरह कंधे पर हाथ बनकर आ जाता है। ये बात और है कि हम में तकरार भी हुई, हमारे बीच कई अरसे तक खामोशी सोई रही मगर वो रिश्ता सिर्फ दो कहीं सुनी बातों से टूटता थोड़ी है तो फिर से एक नया सफर शुरू हो गया....और बाकमाल चल रहा है😊😊





                        आपका छोटा भाई ""सोमू""""""

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