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हम एक साथ हैं gocorona


ये हमारे लिए गर्व का विषय है और भावनात्मक  संदेश भी है कि आज कोरोना रूपी भयंकर महामारी से लड़ने के लिए हम एक साथ खड़े हैं। पुलिस प्रशासन और डॉक्टर्स दिन रात हमारी सेवा में तत्पर हैं। हर तरफ कोरोना का भय है इसलिए हर जगह जरूरत के हिसाब से कर्फ्यू लगाए जा रहे हैं।


एक मैसेज हर जगह फॉरवर्ड हो रहा है और लोग स्टेटस पर डाल रहे हैं कि इटली की स्वास्थ्य व्यवस्था विश्व में नंबर दो पर है और भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था कोई 102 कह रहा है तो कोई 112 नम्बर पर कह रहा है।
लोगों का ये सुझाव है कि जब 6 करोड़ की जनसंख्या वाले देश मे कोरोना इतने जल्दी फैल रहा है तो 135 करोड़ की जनसंख्या  वाले देश में कोरोना कितने जल्दी फैलेगा इसलिए सेफ रहे, घर पर रहें।


मगर मेरा प्रश्न ये है कि ये फैक्ट हमारे लिए घबराने का विषय है या गर्व करने का??

जब हमारे देश का प्रधानमंत्री ( पार्टी नहीं पद) पूरे देश मे 22 मार्च को जनता कर्फ्यू में साथ देने के लिए पूरे देश से निवेदन करता है और पूरा देश एकजुट होकर अपना सहयोग प्रदान करते हैं और शाम 5 बजे अपनी सेवा देने वाले सभी लोगों का देश की जनता ताली, थाली बजाकर अभिवादन करती है ये हमारे लिए घबराने की बात है या गर्व की?

घबराने की बात है तो ये है कि पुतिन को क्यों 1300 टाइगर्स अपने देश में छोड़ने पढ़े मगर हमारे देश में ऐसा अभी तक कुछ नहीं हुआ.... हम एक जुट होकर देश के साथ खड़े है ये हमारे लिए गर्व की बात है।

आज ही शाहीनबाग में चल रहे धरना प्रदर्शन को हटाया गया। जामिया में चल रहे प्रदर्शन को हटाया गया। इससे ये बात सिद्ध है कि अब सारा समर्थन और विरोध बाद में सबसे पहले हर व्यक्ति को इस कोरोना से बचाने का सवाल है।बात सत्ता की नहीं बात जान की है। सरकार जो कदम उठाएगी उसका अगर हम साथ नहीं देंगे तो अगले कोरोना के शिकार हम ही होंगे।

क्या फायदा उस इटली के स्वास्थ्य विभाग का जो दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है मगर अपने देश के लोगों को नहीं बचा पा रहा और क्या हम इस बात पर अपने देश के लिए गर्व नहीं कर सकते कि भले हमारा देश top - 100  में नहीं है मगर हमारे देश का युवा इतनी समझ रखता है जिससे हमारे देश मे कोरोना अपनी तीसरी स्टेज पर है और सिर्फ 488  केस आये है 10 लोगों की मौत हुई है जो हमारे देश की एकता के लिए बहुत बड़ी बात है। ये समय सकारात्मक संदेश देने का है या लोगों के मन में भय पैदा करने का।

विदेश से आने वाले भारतीयों को हमारे देश ने वापिस अपने देश में आने की अनुमति दी है पूरे चेकअप के बाद। मगर हर देश ऐसा नहीं कर रहा है।
जो देश खुद को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी समझते हैं आज उन्हें भारत से सीख लेनी चाहिए कि एकता क्या कहलाती है। हमारे देश को शुरू से कहा जाता है कि " भारत देश अनेकता में एकता रखने वाला देश है" अब सारे देश ये सोचने पर मजबूर हैं।

भारतीय रेल के ट्वीटर एकाउंट से रात लगभग 12 बजे ये ट्वीट आता है कि इन गंभीर परिस्थितियों को समझिए क्योंकि युद्धकाल में भी रेलयात्रा बंद नहीं हुई और अब सब बंद हो रहीं हैं। 1853 से लेकर आज तक रेल यात्रा नहीं रुकी और अब करीब 167 साल बाद रेल का पहिया रुका है।


रही बात इकॉनमी की तो घटना बढ़ना इसका काम है। अभी घट रही है तो आगे बढ़ जायेगी मगर तब जब हम एकजुट होकर सारी परेशानियों और मनभेद को नाली में बहाकर इस कोरोना की मय्यत तैयार करेंगे।

हमें पूरा भरोसा है कि अगर हम सरकार के आदेशों का पालन करते रहे तो हम इस महामारी पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

युगांडा, ईस्ट अफ्रीका में जो कोरोना से बच नहीं सकते उनको गोली से मारा जा रहा है।


मगर हमारे देश में ऐसे हालात नहीं हैं सरकार पूरी व्यवस्था कर रही है। शहर हों या गांवों में सूचना भेज रही है। गौमूत्र और हवन जापों या विधानों के भरोसे न बैठे क्योंकि ये विधान विधि के विधान को नहीं बदल सकते। अंधविश्वास को छोड़कर डॉक्टर्स की सलाह लें क्योंकि अगर विधान और जाप जपने से कोरोना भाग जाता तो डॉक्टर्स की कभी भी कोई जरूरत नहीं होती।


आखिर में हमारा कर्तव्य है कि हमसे जो बन सके हम अपने देश के लिए करें। नकारात्मक संदेश ने फैलाएं और दूसरों के काम आएं। घबराना नहीं है बस घर में रहना है।

कल स्ट्रीट डांसर 3d देख रहा था तो उसमें एक डॉयलॉग था। वरुण धवन कहता है कि
"चाहे तेरे लव पे  वाहे गुरु दा नाम आवे या न आवे।
मगर वो पल भी इबादत का होंदा है जो दूसरों के काम आवे।

अब जब भगवान का घर भी बंद है और हमारे भी तो क्यों दूसरों के लिए और अपने लिए ही घर में रहें। बाहर न जाएं और घर पर ही दुआ और इबादत करें।




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2 टिप्पणियाँ

  1. बहुत खूब कहा सोमिल जी
    और बहुत सही कहा...👌👌👌हम सभी को इन परिस्थितियों को समझते हुए सरकार के कहे अनुसार आचरण करना ही उचित है।👍😊

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