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उड़ान एक परिंदे की review#3 #4


#सोमिल_का_पहला_नॉवेल

सोमिल तुम्हारी पहली ही #उड़ान उम्र से बहुत ऊँची है। स्वप्न पूत के लक्षण पालने में दिखलाने वाला है। साहस होनहार बिरवान के होत चीकने पात वाला है। परिपक्वता समय के सीने पर पाँव जमाती हुई उभरती है।

कथावस्तु ऐसी जैसे कहानी हमारे इर्द-गिर्द ही घूम रही हो। उपकथाएँ ऐसी जैसे जलस्रोत मिलकर एक स्रोतस्विनी (नदी) को पुष्ट करने में योगदान देते हैं। कथानकों का संयोजन और भाषा-शैली युगानुरूप व आधुनिक है। सबसे बड़ी बात, कहानी में सस्पेंस और रोचकता इतनी है कि #उड़ान शुरू करने के बाद मंज़िल पर पहुँचने से पहले फ्लाइट को लैण्ड करने का मन ही नहीं करता। कहानी का अंत ऐसा है जिससे अगली कनेक्टिंग फ्लाइट जल्दी पाने की उत्कण्ठा पैदा हो जाती है। 

लेखक बनने का गौरव प्राप्त करने के लिए हृदय से बधाई !
अपने टीचर के रूप में मुझे गौरवान्वित करने लिए साधुवाद !

--डॉ. प्रमोद जैन


सोमिल भाई आज तेरी उड़ान पुस्तक पढ़ी।पुस्तक एक दम जोरदार है, इसमे मुझे तीन लेखकों की अलग अलग झलक दिखी "रागदरबारी"श्रीलाल शुक्ल, "मसाला चाय"दिव्यप्रकाश दुवेदी,और चेतन भगत की हाफ गर्लफ्रैंड
मुझे लगा जैसे तीन लेखकों की आत्मा तुममे समा गई हो।ऐसी और भी पुस्तकें लिखने की उम्मीद तुम्हारी कलम से है।

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