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अब बर्दास्त नहीं होता***

 

                       साभार- दैनिक भास्कर।


ये ख़बर आज के अख़बार की है इसमें एक छोटा बच्चा अपने पिता जी से शिकायत कर रहा है कि "वो मुझसे ऐसा कह रहा है" "वो मुझे गाली दे रहा है"। बार-बार दी गई ये गाली सिर्फ़ किसी व्यक्ति के लिए नहीं पूरी भारतीय टीम को और भारतीयों के लिए है और ये गलती नहीं, अपराध है क्योंकि इसे बार-बार दुहराया जा रहा है। पर भारतीय टीम मैनजमेंट है उनको ऑस्ट्रेलिया का कोई कर्जा चुकाना है इसलिए चुप है। या दूसरे देश में हैं तो क्या पता क्या हो जाये, अगर इसका डर है तो हम सामान्य भारतीय  और क्रिकेट प्रेमी कुछ नहीं कर सकते बस रोज़ की तरह अख़बार से ऐसी ख़बर पढ़ते रहेंगे और भूल जाएंगे। 
मुझे ये समझ नहीं आ रहा कि किस बात के लिए इन दर्शकों का सम्मान हो रहा है जो ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड कुछ भी नहीं कह रहा। होस्टल के किस्सों में एक क़िस्सा बहुत मजेदार था कि जब हमारी आपस में लड़ाई होती थी तो कोई एक वॉर्डन से शिकायत करने जरूर जाता था इसलिए दोनों ही लोग पहले अच्छे से एक दूसरे में ले-दे लेते थे। पर इस तस्वीर में सिर्फ एक मासूम व्यक्ति अंपायर से शिकायत कर रहा है कि "वो गाली दे रहे हैं" 
अब अंपायर बोर्ड से शिकायत करेगा फिर बोर्ड उन लोगों को रिमांड में लगी फिर सार्वजनिक माफ़ी माँगी जाएगी और हम खुश?
जब ग़लती बार-बार दुहराई जा रही है ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज प्लेयर भी माफ़ी माँग रहे हैं तो फ़िर ऐसी मेज़बानी को आग लगा देते हैं बस इतना याद रखिये कि आपके पास गालियां का सीमित स्टॉक होगा पर यहाँ गालियों का अपार भण्डार है और विशेष प्रकार की वैरायटी के साथ परोसा जाएगा।
अच्छा आगे बढ़े तो भारत में क्रिकेट सबसे बड़ा धर्म है और क्रिकेटर्स यहाँ देवता हैं और यहाँ पूजे जाते हैं तो फिर इस बात का विशेष ध्यान रखिये कि जब आपकी मेज़बानी भारत करेगा तो यहाँ क्रिकेट के दीवाने अपने पिता श्री की नहीं सुनते तो ICC की तो छोड़ ही दो।

इन्हीं चीजों में अगर  कोहली सर कुछ बोलने लगते हैं तो जनता कहती है "विराट कोहली अग्रेसिव बहुत हैं गालियाँ बहुत देता है"
अरे ओ चचा......ये देश के सम्मान की बात है सेल्फ रिस्पेक्ट की बात है तुम्हारे भतीजे का मुंडन नहीं हो रहा है। हर बार मनमोहन जी बनकर बैठना मूर्खता है।

ये तस्वीर देख रहे हैं आप। वैसे बोलने को तो हम भी कुछ बोल सकते हैं पर भारतीय टीम के कैप्टन ने कहा कि स्मिथ को कुछ मत कहिए उनके लिए भी तालियाँ बजाई जाएं। और हमने उसी ठंग से उनका सम्मान किया। और वो हमारे प्लेयर्स को क्या-क्या बोल रहे हैं जबकि हमने तो बॉल टेम्परिंग भी नहीं की।
सुंदर और सिराज को तुम लोग "कीड़ा" बोल रहे हो बेटा तुम्हारे अब्बा को फैल कर देंगे वो ऐसे प्लेयर हैं।

ये ऑस्ट्रेलिया टीम है और इसकी गलती करना गलती नहीं है आदत है और आदत को दुहराना इनका जन्मसिद्ध अधिकार है बाक़ी अगर "बॉल टेम्परिंग" की बात हम शुरू करेंगे तो रो दोगे स्मिथ साहब.... सॉरी आप तो रो दिए थे।
और मुझे तो समझ नहीं आता कि इन चीजों में भारतीयों के संस्कार बीच में बहुत जल्दी आ जाते हैं तो फिर इनका एक काम करिए आचार डालिये और सुनिए उनकी मधुर वाणी में 'गालियाँ' क्योंकि हमें तो भाईचारा निभाना है।
इसलिए इन चीजों में विराट कोहली ज्यादा पसंद हैं क्योंकि वो सामने ही कहते हैं "अब बोल न बेन स्टोक"





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