Translate

उसने कहा मुझे मारो मत भले मेरा

कितनी असहाय होगी वो लड़की जो ये कह रही हो कि "मेरा रेप कर लो लेकिन मुझे मारो मत"



भोपाल। प्रदेश में दिनोंदिन महिलाओं से संबंधित अपराध बढ़ते जा रहे हैं।अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रहा है। कोलार में 24 साल की लड़की के साथ करीब एक महीने पहले जानलेवा हमला हुआ और रेप की कोशिश जैसी भयानक वारदात सामने आयी। लेकिन उसे अनदेखा कर दिया मगर अब  दो दिन पहले ही इस मामले को संज्ञान में लिया गया है। पीड़िता ने बताया कि वो आरोपी के सामने गिड़गिड़ाती रही लेकिन आरोपी उसे मारता ही रहा। पुलिस प्रशासन ने 16 जनवरी को हुई इस  इस घटना को एक महीने बाद संज्ञान में लिया है। कहीं पुलिस आरोपी को बचा तो नहीं रही? ऐसे कई सवाल सामने आते हैं।

ये घटना सिर्फ अभी की नहीं है बल्कि दो साल पहले आरती नाम की युवती का भी रेप हुआ था और लोगों के तानों से तंग आकर उसने खुद को फाँसी लगा ली थी। इसी साल 26 जनवरी को एक नाबालिक के साथ शाहपुरा में रेप का मामला भी सामने आया था। फिर भी हमारी न्याय व्यवस्था अभी तक सो रही है।

प्रदेश के गृह मंत्री ने कहा था कि शाम को कोचिंग क्लासेस बंद कर दें, मतलब ये तो वही बात हुई की शरीर का एक अंग खराब हो गया तो उसका इलाज नहीं कराएं बल्कि उसे काट के फेंक दें। जो लड़कियां जर्नलिस्ट हैं तो उनकी फील्ड में तो 24 घंटे काम करना होता है अब उन्हें भी अब सोचना पड़ेगा कि शाम को घर से निकले या नहीं।

 आज कैसे सुरक्षित हैं लड़कियाँ जब हॉस्पिटल के पास ही निक्की के साथ इतनी बड़ी वारदात हो गई। जब ऐसी जगहों पर अपराध के मामले थम नहीं रहे तो फिर सुनसान एरियों में यह घटनाएं आम बात हैं। 

कानून हमने लंबे चौड़े बना दिए हैं पर उनका पालन नहीं होता और प्रशासन ऐसी वारदातों पर मूकदर्शक बनकर चुप रह जाता है।

सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब प्रदेश की ही बच्चियाँ महिलाएं ही सुरक्षित नहीं है तो दूसरे राज्य से आने वाली लड़कियाँ जो यहाँ आकर अध्ययन करती हैं उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा?  फिर ये ढ़िढोरा क्यों पीटा जाता है कि मध्य प्रदेश सबसे सुरक्षित है प्रदेश है बल्कि सबसे ज्यादा घटनाएं प्रदेश में ही अभी हो रही हैं।

कई मंचों से "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" के नारे दिए जाते हैं लेकिन लड़कियाँ खुद कह रही है कि कोई हमारी सुनता ही नहीं है। पुलिस लापरवाह है। हमारे यहाँ की महिलाएं सिर्फ नेताओं, मंत्रियों के भाषणों में सुरक्षित हैं असल में कहानी कुछ और है।

1 महीने तक पुलिस प्रशासन यही कहता रहा कि आरोपी जान-पहचान का है,  फिर अचानक 20 दिन बाद कहती है कि आरोपी महाबली नगर का एक युवक है। लेकिन न तो निक्की से आरोपी है को मिलवाया जा रहा है और न उसकी  पहचान करने का कोई सबूत दिया का रहा है।

कोरोना के चलते निक्की की पहले नोकरी चली गई थी और अब ये हादसा हो गया।

बचपन में फिल्मों में सुना था कि पुलिस लेट आती है लेकिन एक महीने बाद इतनी बड़ी हैवानियत होने के बाद आती है अब देख भी लिया। कितनी असहाय महसूस कर रही होगी वो लड़की जो ये कह रही हो कि "मेरा रेप कर लो लेकिन मुझे मारो मत"

महिलाओं को पुरस्कार मत दीजिए उनकी सुरक्षा का इंतजाम करिए यही उनके लिए  सबसे बड़ा पुरस्कार होगा, सबसे बड़ा सम्मान होगा।


रिपोर्ट

सोमिल जैन सोमू

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ