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मेघना एक अलबेली सी पहेली

 मेघना एक अलबेली सी पहेली


मेघना नाम है उस लड़की का जो नाज़ुक बिगड़े हालातों पर काबू पाकर इंसाफ की लड़ाई लड़ती है, जिसकी ज़िंदगी बहुत लोगों के लिए सीख है. मेघना एक नारी प्रधान कहानी होते हुए भी उनके जीवन में पुरुषों के महत्व को दर्शाती है. यह उपन्यास ज़िंदगी के हर रंग को कैनवास पर बखूबी उतारता है. प्यार, रोमांस, फ़र्ज़, संघर्ष और कहानी का सबसे अहम हिस्सा रहस्य; इन सभी रंगों का सामंजस्य कहानी की विशेषता हैं. इसमें हर उम्र, प्रत्येक वर्ग का ख़ास ध्यान रखा है. समाज के हर हिस्से में कहानी सरलता से पहुंचे यही कोशिश की है

हमारे समाज की दोहरी मानसिकता जहां कुछ पुरुष, नारी जाति की उन्नति के लिए सीढ़ी बन जाते हैं वहीं कुछ उसे मात्र भोग की वस्तु समझते हैं। इस उपन्यास में पुरुष के राम और रावण दोनों रूप से आप रूबरू होंगे... 

मेघना उपन्यास बहुत ही मनोरंजक तरीके से हमारे सम्पूर्ण समाज की मानसिकता को झकझोरता हुआ सवाल उठाता और अपने ढंग से उसका जवाब समेटे है। आपकी सोच भी शायद इससे इत्तेफाक़ रखती होगी, इसलिए विनम्र अनुरोध है कि अपने बहुमूल्य समय में से कुछ समय निकालकर एक बार मेघना से मिलें शायद आपने चंद सवालों के जवाब वो आपको दे जाए?


"लेखिका रायबरेली, उत्तरप्रदेश की रहने वाली हैं. अभी वर्तमान में दिल्ली में रह रही हैं। इसके पहले लखनऊ में थी, उस दौरान इनकी लेखन यात्रा शुरू हुई और लेखिका आकाशवाणी से जुड़ी। लखनऊ आकाशवाणी से इनके लेख, कहानियां और व्यंग्य प्रसारित हुए। हिन्दी की पत्र-पत्रिकाओं जैसे मुक्ता, गृहशोभा, वनिता, फेमिना (हिन्दी) एवं गृहलक्ष्मी में लगातार इनकी रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं।  

लेखिका का पहला उपन्यास "मेघना- एक अलबेली-सी पहेली" हिन्दयुग्म प्रकाशन से प्रकाशित हो चुका है। इस उपन्यास के केंद्र में स्त्री विमर्श है तो परिधि में एक पावन-पवित्र त्रिकोणीय प्रेम कहानी है। ये उपन्यास सामाजिक भी है और पारिवारिक भी।"


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